एक देश मे एक बहुत इमान्दार और न्यायप्रिय खलिफा था . एक बर वह बिमार हो गया . वह बहुत जगह इलाज कराया
लेकिन कोइ लाभ नही हुवा . अपना अन्त समय जानकर खलिफा अपने मुन्सी को बुलाया और पुछ
कि बाताव मै खलिफा बना हु तब से मेरे सम्पति मे कितनी बधोतरी हुइ है ? मुन्सी जी
हिसाब लगाकर बोले मालिक अपनी निजि सम्पति मे से एक गाय और एक बकरी कि बधोतरी हुइ
है . खलिफा ने उसे गरिबों मे बाट्ने कि आज्ञा दिया . इसके बाद उसे याद आय कि
राज्यकोष से वि 500 नगद लिया था . इसके बाद वो बोले मेरे घर बेचकर ५०० राज्यकोष मे
जम्मा करा देने के लिए और बाकी जो बचेगा उसे गरिब और आनाथ लोगों मे बाट दिया जाय .
इसके बाद वह बोला मेरे मर्ने के बा मेरे साथ केवल तिन कपडा जाएगा जिसमे से दो तो
मेरे सरिर मे है और एक कपडा से और मुझे
झाक देन .ईमानदार दानी खलीफा -motivational story in hindi
यह बाट सुनकर मुन्सी जी
बोले मालिक हम तिनों नया कपडा खरिद सकते है ना तो फिर आख्री समय मे पुराना कपडा ले
जाने कि क्या जरुरत है ? मुन्सी जी के यह बात सुनकर खलिफा बोला – आरे भाइ येह भी
नही जानते हो धर्ति पर नया कपडा कि जरुरत मुर्दा के बजाय जिन्दा लोगो कि ज्यादा
जरुरत है .यह बाट सुनकर मुन्सी जी क खलिफा के प्रति और श्रदा बढ गया .
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Wiw
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