एक दिन किसी राज्यका राजा हाती पर सवार होकर घुम्ने के लिए निकले। रास्तेमे एक जगह कुछ लडका सब पत्थरसे पाका हुआ बेल तोड रहा था। संयोग से उनके चलाए हुवे पत्थर से राजा के मथामे लग गया और खुन आगया।
उनके सिपाही लड़केको पकड़कर महाराज के आगे पेश किया। महाराज इस मामले मंत्री से राय पुछे। सभिने बोला की "दुष्ट लड़केको कठोर दण्ड देना चाहिए "
मंत्री से सल्लाह लेनेके बाद महाराज पुछे " ये बच्चा सब वहा क्या कर रहा था ?
"सरकार ये सब वृक्ष पर पत्थर मार रहे थे।
महाराज फिर पुछे " क्यो ? , क्या चिज के लिए ?"
मंत्री बोले -"सरकार बेल के लिए। "
कुछ समय राजा चुप लागे और फिर बोले " जब वृक्ष पत्थर का चोट खा करके मिठा फल देता है तब हम इनको दण्ड कैसे दे ? हम मनुष्य होकरके वृक्ष जैसा उद्धार नही हो सकते ? ये सिधा साधा बच्चे कों छोड दिया जय और इनको पेट भर फलफुल खिलाया जाए। क्यु कि ये सब बेचारे फल के लिए पत्थर मार रहे थे।
उनका आज्ञा क पालन तुरन्त हुआ और फल खा कर बच्चे सब हस्ते-हस्ते अपने घर चले गए।
उनके सिपाही लड़केको पकड़कर महाराज के आगे पेश किया। महाराज इस मामले मंत्री से राय पुछे। सभिने बोला की "दुष्ट लड़केको कठोर दण्ड देना चाहिए "
मंत्री से सल्लाह लेनेके बाद महाराज पुछे " ये बच्चा सब वहा क्या कर रहा था ?
"सरकार ये सब वृक्ष पर पत्थर मार रहे थे।
महाराज फिर पुछे " क्यो ? , क्या चिज के लिए ?"
मंत्री बोले -"सरकार बेल के लिए। "
कुछ समय राजा चुप लागे और फिर बोले " जब वृक्ष पत्थर का चोट खा करके मिठा फल देता है तब हम इनको दण्ड कैसे दे ? हम मनुष्य होकरके वृक्ष जैसा उद्धार नही हो सकते ? ये सिधा साधा बच्चे कों छोड दिया जय और इनको पेट भर फलफुल खिलाया जाए। क्यु कि ये सब बेचारे फल के लिए पत्थर मार रहे थे।
उनका आज्ञा क पालन तुरन्त हुआ और फल खा कर बच्चे सब हस्ते-हस्ते अपने घर चले गए।