SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 1  
जो मन को
नियंत्रित नहीं करते
उनके लिए वह
शत्रु के समान
कार्य करता है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 2 
सदैव संदेह करने वाले
व्यक्ति के लिए
प्रसन्नता ना इस
लोक में  है ना
ही कहीं और.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 3
क्रोध से 
भ्रम  पैदा
होता है. भ्रम
से बुद्धि व्यग्र
होती है. जब
बुद्धि व्यग्र होती है
तब तर्क नष्ट
हो जाता है.
जब तर्क नष्ट
होता है तब
व्यक्ति का पतन
हो जाता है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 4
अपने अनिवार्य कार्य करो,
क्योंकि वास्तव में कार्य
करना निष्क्रियता से
बेहतर है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 5 
आत्म-ज्ञान की तलवार
से काटकर अपने
ह्रदय से अज्ञान
के संदेह को  अलग
कर दो. अनुशाषित
रहो. उठो.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 6 
मनुष्य अपने विश्वास
से निर्मित होता
है.जैसा वो
विश्वास करता है
वैसा वो बन
जाता है.
.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 7 
नर्क के तीन
द्वार हैं: वासना,
क्रोध और लालच.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 8 
इस जीवन में
ना कुछ खोता
है ना व्यर्थ
होता है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 9
मन  अशांत
है और उसे
नियंत्रित करना कठिन
है, लेकिन अभ्यास
से इसे वश
में किया जा
सकता है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 10
 लोग आपके
अपमान के बारे
में हमेशा बात
करेंगे. सम्मानित व्यक्ति के
लिए, अपमान मृत्यु
से भी बदतर
है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 11
 केवल मन  ही  किसी  का  मित्र  और  शत्रु  होता  है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 12
जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 13
 मैं 
सभी  प्राणियों  के  ह्रदय  में  विद्यमान  हूँ.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 14
ऐसा  कुछ  भी  नहीं  , चेतन  या  अचेतन  , जो  मेरे  बिना  अस्तित्व  में  रह  सकता  हो.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 15
प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए,
गंदगी का ढेर,
पत्थर, और सोना
सभी समान हैं.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 16
निर्माण केवल पहले
से मौजूद चीजों
का प्रक्षेपण है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 17
 व्यक्ति जो चाहे
बन सकता है
यदी वह विश्वास
के साथ इच्छित
वस्तु  पर
लगातार चिंतन करे.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 18
 उससे मत
डरो जो वास्तविक
नहीं है, ना
कभी था ना
कभी होगा.जो
वास्तविक है, वो
हमेशा था और
उसे कभी नष्ट
नहीं किया जा
सकता.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 19
ज्ञानी व्यक्ति को  कर्म के
प्रतिफल की अपेक्षा
कर रहे  अज्ञानी व्यक्ति के
दीमाग को अस्थिर
नहीं करना चाहिए.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 20
हर व्यक्ति का विश्वास
उसकी प्रकृति के
अनुसार होता है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 21
जन्म लेने वाले
के लिए मृत्यु
उतनी ही निश्चित
है जितना कि
मृत होने वाले
के लिए जन्म
लेना. इसलिए जो
अपरिहार्य है उस
पर शोक मत
करो.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 22
अप्राकृतिक
कर्म बहुत तनाव
पैदा करता है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 23
सभी अच्छे काम छोड़
कर बस भगवान
में पूर्ण रूप
से समर्पित हो
जाओ. मैं तुम्हे
सभी पापों से
मुक्त कर दूंगा.
शोक मत करो.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -24
 किसी और
का काम पूर्णता
से करने से
कहीं अच्छा है
कि अपना काम
करें, भले ही
उसे अपूर्णता से
करना पड़े.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 25
मैं उन्हें ज्ञान देता
हूँ जो सदा
मुझसे जुड़े रहते
हैं और जो
मुझसे प्रेम करते
हैं.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 26
मैं सभी प्राणियों
को सामान रूप
से देखता हूँ;
ना कोई मुझे
कम प्रिय है
ना अधिक. लेकिन
जो मेरी प्रेमपूर्वक
आराधना करते हैं
वो मेरे भीतर
रहते हैं और
मैं उनके जीवन
में आता हूँ.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 27
प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर
के किसी और
पर निर्भर नहीं
करता.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 28
मेरी कृपा
से कोई  सभी कर्तव्यों
का निर्वाह करते
हुए भी बस
मेरी शरण में
आकर  अनंत
अविनाशी निवास को प्राप्त
करता है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 29
हे अर्जुन, केवल भाग्यशाली
योद्धा ही ऐसा
युद्ध लड़ने का
अवसर पाते हैं
जो स्वर्ग के
द्वार के सामान
है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 30
भगवान प्रत्येक वस्तु में
है और सबके
ऊपर भी.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 31
मैं धरती की
मधुर सुगंध हूँ.
मैं अग्नि की
ऊष्मा हूँ, सभी
जीवित प्राणियों का
जीवन और सन्यासियों
का आत्मसंयम हूँ.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 32
तुम उसके लिए
शोक करते हो
जो शोक करने
के योग्य नहीं
हैं, और फिर
भी ज्ञान की
बाते करते हो.बुद्धिमान व्यक्ति ना
जीवित और ना
ही मृत व्यक्ति
के लिए शोक
करते हैं.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 33
कभी ऐसा समय
नहीं था जब
मैं, तुम,या
ये राजा-महाराजा
अस्तित्व में नहीं
थे, ना ही
भविष्य में कभी
ऐसा होगा कि
हमारा अस्तित्व समाप्त
हो जाये.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 34
कर्म मुझे बांधता
नहीं, क्योंकि मुझे
कर्म के प्रतिफल
की कोई इच्छा
नहीं.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 35
हे अर्जुन ! हम दोनों
ने कई जन्म
लिए हैं. मुझे
याद हैं, लेकिन
तुम्हे नहीं.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 36
वह जो वास्तविकता
में मेरे उत्कृष्ट
जन्म और गतिविधियों
को समझता है,
वह शरीर त्यागने
के बाद पुनः
जन्म नहीं लेता
और मेरे धाम
को प्राप्त होता
है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 37
अपने परम भक्तों,
जो हमेशा मेरा
स्मरण या एक-चित्त मन से
मेरा पूजन करते
हैं, मैं व्यक्तिगत
रूप से  उनके कल्याण
का उत्तरदायित्व  लेता हूँ.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 38
कर्म योग वास्तव
में एक परम
रहस्य है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 39
बुद्धिमान व्यक्ति को समाज
कल्याण के लिए
बिना आसक्ति के
काम करना चाहिए.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 40
जो  व्यक्ति  आध्यात्मिक  जागरूकता  के  शिखर  तक  पहुँच  चुके  हैं  , उनका  मार्ग  है  निःस्वार्थ  कर्म  . जो  भगवान्  के  साथ  संयोजित
हो  चुके  हैं  उनका  मार्ग  है  स्थिरता  और  शांति.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES - 41
यद्द्यापी  मैं  इस  तंत्र  का  रचयिता  हूँ,
लेकिन  सभी  को  यह  ज्ञात  होना  चाहिए  कि  मैं  कुछ  नहीं  करता  और  मैं  अनंत  हूँ.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -42
जब  वे  अपने  कार्य  में  आनंद  खोज  लेते  हैं
तब वे पूर्णता  प्राप्त   करते  हैं.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -43
वह  जो  सभी  इच्छाएं  त्याग  देता  है  और  “मैं
”  और  “मेरा
” की  लालसा  और
भावना  से  मुक्त  हो  जाता  है  उसे  शांती  प्राप्त  होती  है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -44
: मेरे  लिए  ना  कोई  घृणित   है  ना  प्रिय.किन्तु  जो  व्यक्ति  भक्ति  के  साथ  मेरी  पूजा  करते  हैं  , वो  मेरे  साथ  हैं  और  मैं  भी  उनके  साथ  हूँ.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -45
जो  इस  लोक  में  अपने  काम  की  सफलता  की  कामना  रखते  हैं
वे देवताओं  का 
पूजन   करें.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -46
 मैं  ऊष्मा  देता  हूँ,
मैं  वर्षा
करता हूँ  और 
रोकता  भी
हूँ, मैं  अमरत्व   भी  हूँ  और  मृत्यु  भी.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -47
बुरे  कर्म  करने  वाले,
सबसे  नीच
व्यक्ति जो 
राक्षसी  प्रवित्तियों  से  जुड़े  हुए  हैं,
और  जिनकी  बुद्धि  माया  ने  हर  ली  है  वो  मेरी  पूजा  या  मुझे  पाने  का  प्रयास  नहीं  करते.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -48
जो  कोई  भी  जिस  किसी  भी  देवता  की  पूजा  विश्वास  के  साथ  करने  की  इच्छा  रखता  है,
मैं  उसका  विश्वास  उसी  देवता  में  दृढ  कर  देता  हूँ.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -49
हे  अर्जुन
!, मैं  भूत,
वर्तमान  और  भविष्य  के  सभी  प्राणियों  को  जानता  हूँ,
किन्तु  वास्तविकता  में  कोई  मुझे  नहीं  जानता.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -50
मन की गतिविधियों,
होश, श्वास, और
भावनाओं के माध्यम
से भगवान की
शक्ति सदा तुम्हारे
साथ है; और
लगातार तुम्हे बस एक
साधन की तरह
प्रयोग कर के
सभी कार्य कर
रही है.
SRIMADBHAGWADGITA  श्रीमद्भगवद्गीता QUOTES -51
ज्ञानी
व्यक्ति ज्ञान और कर्म
को एक रूप
में देखता है,
वही सही मायने
में  देखता
है.
 
 
 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें