Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 1
मैं ये मानने से इनकार करता हूँ कि दुनिया इतनी
गरीब है, जबकि सेनाओं पर
होने वाला सिर्फ एक हफ्ते का वैश्विक खर्च हमारे सभी बच्चों को क्लासरूम में ला
सकता है। कैलाश सत्यार्थी
Friends, the biggest
crisis knocking on the doors of humanity today is intolerance.
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 2
I see thousands of Mahatma Gandhis, Martin Luther Kings, and Nelson Mandelas marching forward and calling on us. The boys and girls have joined. I have joined in. We ask you to join, too.
मैं हजारों महात्मा गाँधी, मार्टिन लूथर किंग, और नेल्सन मंडेलाओं को आगे बढ़ते और हमें बुलाते हुए देखता हूँ। लड़के और लड़कियों शामिल हो गए हैं। मैं शामिल हो गया हूँ। हम आपको भी शामिल होने के लिए कहते हैं। -
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 3
I dream for a world
which is free of child labour, a world in which every child goes to school. A
world in which every child gets his rights.
मैं ऐसी दुनिया का ख्वाब देखता हूँ जहाँ बाल
श्रम ना हो, एक ऐसी दुनिया
जिसमे हर बच्चा स्कूल जाता हो। एक दुनिया जहाँ हर बच्चे को उसका अधिकार मिले। कैलाश सत्यार्थी
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 4
For me, peace is a fundamental human right of every child; it is inevitable and divine.
मेरे लिए, शांति हर बच्चे का मौलिक मानवाधिकार है; ये अनिवार्य और दिव्य है। कैलाश सत्यार्थी
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 5
Economic growth and
human development need to go hand in hand. Human values need to be advocated
vigorously.
आर्थिक विकास और मानव विकास साथ-साथ होना चाहिए। मानवीय मूल्यों की वकालत करने की सख्त ज़रूरत है। कैलाश सत्यार्थी
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 6
Childhood means
simplicity. Look at the world with the child’s eye – it is very beautiful.
बचपन का मतलब है सादगी। दुनिया को बच्चों की
नज़र से देखो- ये बहुत खूबसूरत है। कैलाश सत्यार्थी
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 7
Each time I free a
child, I feel it is something closer to God.
हर बार जब मैं एक बच्चे को मुक्त कराता हूँ,
मुझे लगता है ये भगवान के
कुछ करीब है। कैलाश सत्यार्थी
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 8
Child slavery is a crime against humanity. Humanity itself is at stake here. A lot of work still remains, but I will see the end of child labor in my lifetime.
चाइल्ड स्लेवरी मानवता के खिलाफ एक अपराध है। मानवता खुद यहां दांव पर है। अभी बहुत काम किया जाना बाकी है, लेकिन मैं अपने जीवनकाल में बाल श्रम का अंत देखूंगा।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 9
If not now, then
when? If not you, then who? If we are able to answer these fundamental
questions, then perhaps we can wipe away the blot of human slavery.
अगर अभी नहीं, तो कब? अगर तुम नहीं, तो कौन? अगर हम इन मौलिक सवाओं का उत्तर दे सकें, तो शायद हम ह्यूमन स्लेवरी का दाग मिटा सकें।
Kailash Satyarthi कैलाश सत्यार्थी
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 10
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 10
Every single minute
matters, every single child matters, every single childhood matters.
हर एक मिनट मायने रखता है, हर एक बच्चा मायने रखता है, हर एक बचपन मायने रखता है।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 11
India may be a land
of over a 100 problems, but it is also a place for a billion solutions.
भारत सौ से भी अधिक समस्याओं वाला देश हो सकता
है, लेकिन ये बिलियन सोलुशंस
वाला देश भी है .
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 12
Child labor
perpetuates poverty, unemployment, illiteracy, population growth, and other
social problems.
बाल श्रम गरीबी, बेरोज़गारी, अशिक्षा, जनसँख्या वृद्धि और अन्य सामाजिक समस्याओं को
बढाता है।
Kailash Satyarthi कैलाश सत्यार्थी
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 13
Denial of
childhood and denial of freedom are the biggest sins which humankind has been
committing and perpetuating for ages.
बचपन छीन लेना और स्वतंत्रता ना देना सबसे बड़े पाप हैं जो मनुष्य सदियों से करता आ रहा है।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 14
12 There is a
triangular relationship between poverty, child labour and illiteracy who have a
cause and consequence relationship. We will have to break this vicious circle.
गरीबी, बाल श्रम और अशिक्षा के बीच एक त्रिकोणीय सम्बन्ध है जिनमे
कारण और परिणाम का नाता है। हमें इस दुष्चक्र को तोडना होगा।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 15
I have been very
strongly advocating that poverty must not be used as an excuse to continue
child labour. It perpetuates poverty. If children are deprived of education,
they remain poor.
मैं पूरी ताकत से इस बात की वकालत करता आया हूँ
कि गरीबी को बाल मजदूरी जारी रखने का बहाना नहीं बनाना चाहिए। इससे गरीबी बढती है।
अगर बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जाता है तो वे गरीब रह जाते हैं।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 16
I am really
honoured, but if the prize had gone to Mahatma Gandhi before me, I would have
been more honoured.
मैं सचमुच बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूँ,
लेकिन अगर मुझसे पहले ये
पुरस्कार महात्मा गाँधी को जाता तो मैं और भी सम्मानित महसूस करता।
Kailash Satyarthi कैलाश सत्यार्थी
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 17
I am thankful to
the Nobel committee for recognising the plight of millions of children who are
suffering in this modern age.
इस आधुनिक युग में पीड़ित लाखों बच्चों की
दुर्दशा समझने के लिए मैं नोबल कमिटी का शुक्रगुज़ार हूँ।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 18
I never go to
temples, but when I see a child, I see God in them.
मैं कभी मंदिर नहीं जाता, लेकिन जब मैं किसी बच्चे को देखता हूँ, तो मैं उसमे भगवान् देखता हूँ।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 19
I am positive that I would see the end of child labour around the world in my lifetime, as the poorest of the poor have realised that education is a tool that can empower them.
मैं सकारात्मक हूँ कि मैं अपने जीवनकाल में बाल-श्रम का अंत देख सकता हूँ, क्योंकि अब गरीब से गरीब व्यक्ति भी महसूस कर रहा है कि शिक्षा वो साधन है जो उन्हें सशक्त बना सकता है।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 20
As the
anti-slavery community, we must together ensure that this attention is
transferred into concrete action and results.
बतौर एंटी-स्लेवरी- कम्युनिटी, हमें ये ज़रुर सुनिश्चित करना चाहिए कि ये
अटेंशन ठोस एक्शन और रिजल्ट्स में बदले।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 21
I call for a march
from exploitation to education, from poverty to shared prosperity, a march from
slavery to liberty, and a march from violence to peace.
मैं शोषण से शिक्षा की ओर, और गरीबी से साझा समृद्धि की ओर प्रगति करने के
लिए कहता हूँ, एक ऐसी प्रगति जो
गुलामी से आज़ादी की ओर हो, एक ऐसी प्रगति जो हिंसा से शांति की ओर हो।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 22
Let us unite the
world through the compassion for our children.
चलिए, हम हमारे बच्चों के प्रति करुणा के माध्यम से दुनिया को एकजुट करते हैं।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 23
The fight against
child slavery is the fight against traditional mindset, policy deficit, and
lack of accountability and urgency for children across the globe.
चाइल्ड स्लेवरी के खिलाफ हमारी लड़ाई, पारम्परिक मानसिकता, पालिसी डेफिसिट, जवाबदेही की कमी और दुनिया भर के बच्चों के लिए
तत्काल कुछ ना करने के खिलाफ लडाई है।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 24
If you keep on
buying things made by child slaves in such conditions, you are equally
responsible for the perpetration of slavery.
अगर आप इन परिस्थितियों में गुलाम बच्चों द्वारा बनायीं गयी चीजें खरीदते रहेंगे तो आप गुलामी के स्थायीकरण के लिए बराबर के जिम्मेदार होंगे।
Kailash Satyarthi कैलाश सत्यार्थी
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 25
There is no
greater violence than to deny the dreams of our children.”
बच्चों को सपने देखने से वंचित करने से बढ़कर
कोई अपराध नहीं है।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 26
I refuse to accept
that the world is so poor, when just one week of global spending on armies is
enough to bring all of our children into classrooms.
मैं ये मानने से इनकार करता हूँ कि गुलामी की
बेड़ियाँ कभी भी आज़ादी की खोज से मजबूत हो सकती हैं।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 27
Whose children are they who stitch footballs, yet have never played with one? They are our children. Whose children are they who mine stones and minerals? They are our children. Whose children are they who harvest cocoa, yet do not know the taste of a chocolate? They are all our children.”
Whose children are they who stitch footballs, yet have never played with one? They are our children. Whose children are they who mine stones and minerals? They are our children. Whose children are they who harvest cocoa, yet do not know the taste of a chocolate? They are all our children.”
वो किसके बच्चे हैं जो फुटबाल सिलते हैं, फिर भी कभी फुटबाल से खेला नहीं? वे हमारे बच्चे हैं। वे किसके बच्चे हैं जो पत्थरों और खनिजों की खान में काम करते हैं? वे हमारे बच्चे हैं। वे किसके बच्चे हैं जो कोको की पैदावार करते हैं, फिर भी चॉकलेट का टेस्ट नहीं जानते? वे सभी हमारे बच्चे हैं।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 28
23 Twenty years ago,
in the foothills of the Himalayas, I met a small, skinny boy. He asked me ‘Is
the world so poor that it cannot give me a toy and a book, instead of forcing
me to take a tool or gun?
बीस साल पहले हिमालय की तलहटी में, मेरी मुलाकात एक पतले-दुबले लड़के से हुई. उसने
मुझसे पूछा, “क्या दुनिया इतनी
गरीब है कि मुझे कोई औजार या बन्दूक उठाने पर मजबूर करने की बजाये एक खिलौना और एक
किताब नहीं दे सकती?
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 29
The single aim of
my life is that every child is
free to be a child,
free to grow and develop,
free to eat, sleep, see daylight,
free to laugh and cry,
free to play,
free to learn, free to go to school, and above all, free to
dream.
मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य है कि हर बच्चा
बच्चा होने के
लिए आज़ाद हो,
आगे बढ़ने और
विकास करने के लिए आज़ाद हो,
खाने, सोने, और दिन की रौशनी देखने के लिए आज़ाद हो,
हंसने और रोने के
लिए आज़ाद हो,
खेलने के लिए
आज़ाद हो,
दीखने, स्कूल जाने और सबसे बढ़कर सपने देखने के लिए
आज़ाद हो।
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 30
My dear sisters
and brothers, may I ask you to close your eyes and put your hand close to your
heart for a moment? Can you feel the child inside you? Now, listen to this
child. I am sure you can!”
मेरे प्यारे बहनों और भाइयों, क्या मैं आपसे एक क्षण के लिए अपनी आँखें बंद
करने और अपना हाथ अपने दिल के करीब रखने को कह सकता हूँ? क्या आप अपने अन्दर के बच्चे को महसूस कर सकते
हैं? अब, इस बच्चे को सुनिए। मुझे यकीन है आप सुन सकते
हैं!
Inspirational Thoughts of Kailash Satyarthi - 31
Let us march from
darkness to light. Let us march from mortality to divinity. Let us march!”
चलिए अन्धकार से प्रकाश की ओर बढें। चलिए
मृत्यु से देवत्व की ओर बढें। चलिए हम आगे बढें।
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