बुधवार, 29 जून 2016

विजयी मेढ़क - Hindi inspirational story


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विजयी मेढ़क - Hindi inspirational story

एक कुवे में बहुत मेंढक रहा करता था ।  कुवे के बीचो बिच एक पुराना खम्बा लगा हुआ था , जो खम्बा कुवे बनवाते समय लगाई गई थी।  खम्बा काफी ऊचा था और उसकी सतह भी चिकनी थी।

एक दिन मेंढक  के दिमाग में idea  आया कि  क्यों ना एक रेस का आयोजना कि  जाए।  रेस में भाग लेने वाली प्रतिगियों  को खम्बे पर चढ़ना होगा, और जो सबसे पहले ऊपर तक  पहुंच जाएगा  वही बिजेता माना  जएगा। -विजयी मेढ़क - Hindi inspirational story

देखते देखते रेस का दिन आ गई  , चारो तरफ बहुत भीड़-भाड़  थी ,आसपास से भी कई मेढ़क इस रेस में भाग लेने पहुंचे। माहौल बहुत सरगर्मी थी। 

रेस सुरु हुई. 

 ....... .. लेकिन खम्बे को देखकर भीड़ में एकत्र हुवे किसी भी मेढ़क को ये यकीन नहीं हुआ कि  कोई भी मेढ़क  ऊपर तहक पहुंच पाएगा।  ....... 

हर तरफ यही सुनाई देता था।  .. 
 "ये बहुत कठिन है "
 "कोई भी यह रेस पूरी नहीं कर पाएगा "
"सफलता का तो सवाल ही नहीं, इतने चिकने खम्बे पर चढ़ा नहीं जा सकता "
कई मेढ़क  दो-तिन बार गिरने के बाद भी प्रयास  में लगे हुए थे। .. ....... 

पर भीड़ तो अभी  भी चिल्लाए जा रही थी ," ये नहीं हो सकता ......, यह असम्भव है......, ", और वह उत्साहित मेढ़क  यह सुन-सुन कर हताश और निराश हो गए और अपना प्रयास  छोड़ दिया।  

लेकिन उन्ही मेढ़क  के बिच एक छोटा सा मेढ़क था , जो बार -बार गिरने के बाद भी उसी जोश और उत्साह के साथ ऊपर चढ़ने में लगा हुआ था ......, वो लगातार खम्बे के ऊपर की ओर बढ़ता रहा , और अंतत : वह खमबे के ऊपर पहुंच गया और इस RAce  के बिजेता बन गया।  

उसकी जीत  पर सभी को बड़ा आस्चर्य हुआ , सभी मेढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे , " ये असम्भव काम कैसे कर दिखाया , भला तुम्हे अपना लक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति  कहा से मिलि ,हमें भी बताओ की तुमने यह बिजय कैसे प्राप्त की ? 

तभी पीछे से एक आवाज आई ......,,"उससे क्या पूछते हो, वह तो बहरा है कान से नहीं सुनता है  "-विजयी मेढ़क - Hindi inspirational story

दोस्तों अक्सर हमें हमारे अंडर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबिलियत होती है ,पर हम अपने चारो तरफ मौजूद Negative Thoughts की वजह से खुद को कमजोर आंक बैठते है और आप जो बड़े-बड़े सपने देखे होते है उन्हें पूरा किए बिना ही अपनी जिंदगी गुजर देते है।  आवस्यकता इस बात की है की हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति अंधे होजाना चाहिए । तब हमें सफलता के शिखर पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता है । 

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