जीसस को देखना मुश्किल है। एक तो जीसस की देह है, वह तो सभी को दिखाई पड़ती है। और एक जीसस की आत्मा है, वह केवल उनको दिखाई पड़ती है जो परम शांत, जो परम शून्य, जो परम ध्यान में लीन होकर देखते हैं। उनके लिए जीसस का बाह्य—रूप मिट जाता है। और उनके लिए जीसस का तेजस रूप, उनका प्रज्ञा रूप, उनका ज्योतिर्मय रूप प्रगट हो जाता है। इसीलिए तो जीसस के संबंध में दोहरे मत होंगे। एक तो अंधों का मत होगा, जिन्होंने सूली लगाई। क्योंकि उन्होंने कहा, साधारण—सा आदमी और दावा करता है कि ईश्वर का पुत्र है! जहां तक उन्हें दिखाई पड़ रहा था, उनकी बात भी गलत नहीं थी। जो उन्हें दिखाई पड़ रहा था, वहां तक उनकी बात बिलकुल सही थी। उनको पता था कि यह जोसफ का बेटा है, मरियम का बेटा है। यह कैसे ईश्वर का पुत्र है! लेकिन जीसस जिसकी बात कर रहे थे, वह ईश्वर का पुत्र ही है। और वह कोई जीसस में समाप्त नहीं हो जाता। वह आपके भीतर भी ईश्वर का पुत्र वैसा ही मौजूद है।
एक ईसाई पादरी मुझे मिलने आए थे। वे कहने लगे कि जीसस ईश्वर का इकलौता बेटा है। मैंने उनसे कहा कि सभी ईश्वर के इकलौते बेटे हैं। उन्होंने कहा कि सभी कैसे इकलौते बेटे हो सकते हैं?
जब भी उसका अनुभव होता है, तो हर एक को ऐसा लगेगा कि मैं उसी धारा से आया हूं। वही बेटा होने का अर्थ है। मैं उसी का स्फुल्लिंग हूं। मैं उसी महाज्योति की एक किरण हूं। और जिसको भी ऐसा अनुभव होगा, वह ऐसा ही अनुभव करेगा कि मैं इकलौता हूं मैं अकेला हूं। क्योंकि अपनी ही प्रतीति होगी, दूसरे की कोई प्रतीति नहीं होगी, उस क्षण में सब जगत मिट जाएगा। आप अकेले ही रह जाएंगे। आपका परमात्मा और आप। और आप दोनों के बीच का फासला भी गिर जाएगा। वह है महासूर्य, तो आप उसकी ही किरण हैं। और आप अकेली किरण होंगे उस अनुभव के क्षण में।
लेकिन यह जीसस का रूप सब को दिखाई नहीं पड़ा। थोड़े—से लोगों को दिखाई पड़ा। और बड़ी हैरानी की बात है कि जिनको दिखाई पड़ा, वे बेपढ़े—लिखे गंवार लोग थे। पंडितो को दिखाई नहीं पड़ा। पंडितो ने तो सूली लगवाई। पंडित,जो कि ज्ञानी थे! पंडित, जो कि शास्त्रों के ज्ञाता थे! पंडित, जो कि शास्त्रों की व्याख्या करते थे! पंडित, जो पुरोहित थे,मंदिरों के अधिकारी थे! जो बड़ा मंदिर था जेरूसलम में, उसके महापुरोहित ने भी और महापुरोहित के पुरोहितो की कौंसिल ने भी जीसस को सूली देने की सहमति दी। असल में उन्होंने ही पूरी चेष्टा की कि जीसस को सूली लगा दी जाए।
जिनको जीसस का ज्योतिर्मय रूप दिखाई पड़ा, वे थे जुलाहे, मछुवे, ग्रामीण किसान, भोले— भाले लोग; जिन्हें शब्दों का और शास्त्रों का कोई भी पता नहीं था। उनको जीसस पर भरोसा आया। वे देख सके। ऐसा बहुत बार होता है,आपकी बुद्धि पर जितनी ज्ञान की पर्त हो, उतनी देखने की क्षमता कम हो जाती है। संसार अगर आज अधार्मिक ज्यादा है, तो इसलिए नहीं कि दुनिया में अधार्मिक लोग बढ़ गए हैं, पांडित्य बढ़ गया है। और जितना पांडित्य बढ़ जाता है, उतना परमात्मा से संबंध मुश्किल होने लगता है।
र्इं मुर्दन के गाँव - (बाइबिल की यह कहानी जो मुझे बेहद प्यारी लगती है)
जीसस एक झील के पास से गुज़र रहे थे। एक बहुत मज़ेदार घटना घटी। सुबह है, सूरज निकलने को है, अभी-अभी लाली फैली है। एक मछुवे ने जाल फेंका है मछलियां पकड़ने को। मछलियाँ पकड़कर वह जाल खींचता है।जीसस ने उसके कंधे पर हाथ रखाऔर कहा,मेरे दोस्त, क्या पूरी ज़िन्दगी मछलियाँ ही पकड़ते रहोगे? सवाल तो उसके मन में भी कई बार यह उठा था कि क्या पूरी ज़िन्दगी मछलियाँ ही पकड़ता रहूं। किसके मन में नहीं उठता? हां, मछलियां अलग-अलग हैं,जाल अलग-अलग हैं, तालाब अलग-अलग हैं,लेकिन सवाल तो उठता ही है कि क्या ज़िन्दगी भर मछलियां ही पकड़ते रहें।
उसने लौटकर देखा कि कौन आदमी है,जो मेरा ही सवाल उठाता है। पीछे जीसस को देखा,उनकी हँसती हुई शांत आँखें देखीं,उनका व्यक्तित्व देखा। उसने कहा,और कोई उपाय भी तो नहीं है,और कोई सरोवर कहां है। और मछलियाँ कहां हैं। और जाल कहां फेकूं? पूछता तो मैं भी हूँ कि क्या ज़िन्दगी भर मछलियाँ ही पकड़ता रहूंगा। तो जीसस ने कहा कि मैं भी एक मछुआ हूं,लेकिन किसीऔर सागर पर फेंकता हूँ जाल।इरादा हो तो आओ मेरे पीछे आ जाओ। लेकिन ध्यान रहे,नया जाल वही फेंक सकता है,जो पुराना जाल फेंकने की हिम्मत रखता हो। छोड़ दो पुराने जाल को वहीं। मछुवा सच में हिम्मतवर रहा होगा। कम लोग इतने हिम्मतवर होते हैं। उसने जाल को वहीं फेंक दिया जिसमें मछलियाँ भरी थीं।मन तो किया होगा कि खींच ले,कम से कम इस जाल को तो खींच ही ले। लेकिन जीसस ने कहा,वे ही नए जाल को फेंक सकते हैं नए सागर में, जो पुराने जाल को छोड़ने की हिम्मत रखते हैं। छोड़ दे उसे वहीं। उसने वहीं छोड़ दिया।उसने कहा,बोलो,कहां चलूँ?जीसस ने कहा, आदमी हिम्मत के मालूम होते हो, कहीं जा सकते हो।आओ।
वे गांव के बाहर निकल रहे थे,तब एक आदमी भागता हुआ आया और उस मछुवे को पकड़कर कहा, पागल! तू कहां जा रहा है?तेरे बाप की मौत हो गई है जो बीमार थे। रात ज्यादा तबीयत खराब हो गयी थी।तू सुबह उठकर जल्दी चला आया था, उनकी मृत्यु हो गयी,तू गया कहां था? हम गए थे तालाब पर,पड़ा हुआ जाल देखा है वहां।तू कहां चला जा रहा है? उसने जीसस से कहा,क्षमा करें। दो-चार दिन की मुझे छुट्टी दे दें। मैं अपने पिता की अन्त्येष्टि कर आऊं, अन्तिम संस्कार कर आऊँ। फिर मैं लौट आऊँगा। जीसस ने जो वचन कहा, वह बड़ा अद्भुत है। उन्होने कहा, पागल! वह जो गांव में मुर्दे हैं,वे मुर्दे को दफना लेंगे। तुझे क्या जाने की ज़रूरत है, तू चल।अब जो मर गया है,वह मर ही गया,अब दफनाने की भी क्या ज़रूरत है?यानी दफनाना भीऔर तरकीबें हैं उसकोऔर जिलाए रखने की। अब जो मर गया, वह मर ही गया। और फिर गांव में काफी मुर्दे हैं,वे दफना लेंगे, तू चल। एक क्षण वह रुका,जीसस ने कहा कि फिर मैने गलत समझा कि तू पुराने जाल छोड़ सकता है।
एक क्षण वह रुका और फिर जीसस के पीछे चल पड़ा। जीसस ने कहा, तू आदमी हिम्मत का है। तू मुर्दों को छोड़ सकता है। तो तू जीवंत को पा भी सकता है।